ऐसी प्रीति कहूं नहीं देखी || ..२
यशुमति सुत श्रीवल्लभसुत जैसी
शेष सहस्त्रमुख जात नलेखी || १ ||

आज्ञामांग चले श्रीगोकुल फिरफिर
झाँक झरोखन पेखी ||
सुनियत कथा जलदचातककी
कुमुदिनी चंद्रचकोर वेषेखी || २ ||

इनको कियो सबैं जिय भावत
करत श्रृंगार विचित्र विषेखी ||
गोविन्दगोवर्धनपें मांगत बिछुरो
पलछिन अद्धनमेखी || ३ ||