प्रातसमें उठ श्रीवल्लभनंदनके गुण गाऊं ||
श्रीगिरिधर गोविन्दको नाम ले
श्रीबालकृष्णजीकों शीश नाऊं || १ ||

श्री गोकुलनाथजीकों प्रणाम करत
श्रीरघुनाथजीकों देख नयनन सुख पाऊं ||
श्रीयदुनाथ संग खेलत घनश्यामजू
इनकी प्रीति हों कहांलो सिराऊं || २ ||

यह अवतार भक्तहितकारण
जो परमपदारथ पाऊं ||
विनती कर मागत व्रजपतिपें
निशदिन तिहारो दास कहाऊं || ३ ||