Shree Neelkanth Stuti
श्री नील कंठ कृपालु भज मन हरण भव भय दु: सहम
वामांग गिरिजा गंग सिर शशि बाल भाल वृषारूहम ||
चंद्रार्क अगणित अमित छबी भस्मांगलेपन सुन्दरं
अति शुन्य मानस दिग्वसन शुची नौमी शैलसुता वरं ||
शिर जटा कुंडल तिलक चारू कराल सर्प विभूषनं
आजान भुज वर शूल धर पिबत हलाहल दारुणं ||
भज दक्ष मख हर दक्ष सुख कर त्रिपुर दुष्ट निकन्दनं
भूतेश आनंद कंद हिमगिरी चन्द्र काम निशूदनं ||
इति वदति श्री हरीदास ब्रम्हा- शेष- मुनि मन रंजनं
मम ह्रदय कंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनं ||