Tulsi Ashtnaam Stotram-
तुलसी अष्टनाम स्तोत्रम् –
वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनी ॥
एतन्नामाष्टकञ्चैव स्तोत्रं नामार्थसंयुतम्।
यः पठेत्तां च सम्पूज्य सोऽश्वमेध फलं लभेत् ॥
उपरोक्त प्रकरसे माता तुलसी महारानी की स्तुति करके मंत्र जाप करना चाहिए
तुलसी जी का यह मंत्र कल्पवृक्ष है |
समस्त सिद्धीप्रदाता एवं समस्त पापों का नाश करने वाला है |
तुलसीजी का यह आख्यान देवीभागवतके नवम स्कंध मे आता है |